प्र १ भगवान कैसे हैं?
उ भगवान शांत, पूर्ण विशुद्ध ज्ञान हैं.
प्र २ भगवान कैसे संसार चलाते हैं?
उ पूर्ण ज्ञानमय होने तथा सम्पूर्ण सृष्टि के प्रत्येक परमाणु के सूक्ष्मतर अंश में स्तिथ होने के कारण ,ज्ञान के स्फुरण से,प्रत्येक परमाणु अपनी प्रकृति के कारण संचालित होता है.
प्र ३ भगवान क्या खाते हैं?
उ भगवान पूर्ण विशुद्ध ज्ञान होने के कारण आपके भाव को स्वीकारते हैं.
प्र ४ क्या भगवान की आंख ,कान,नाक,हाथ ,पैर हैं?
उ पूर्ण विशुद्ध ज्ञान सृष्टि के प्रत्येक परमाणु में स्तिथ है अतः प्रकृति का प्रत्येक अंश भगवान की आंख ,कान,नाक,हाथ ,पैर हैं.
प्र ५ क्या भगवान हमें देखते हैं?
उ हां भगवान साक्षी भाव से हम सभी में स्तिथ हैं अतः प्रत्येक क्षण वह हम सभी को देख रहे हैं.
प्र ६ क्या प्रार्थना स्वीकार होती है?
उ हां.आपके भाव के आधार पर प्रार्थना स्वीकार होती है.जितने अनन्य मन से आप प्रार्थना करेंगे तदनुसार सांसारिक अथवा अध्यात्मिक फल प्राप्त होगा .
प्र ७ हम कष्ट क्यों पाते हैं?
उ हम अपने कर्मो के कारण कष्ट पाते हैं.
प्र ८ क्या अवतार होते हैं?
उ हां. पूर्ण विशुद्धज्ञान को प्राप्त महात्मा जो अद्वितीय और अखंड ज्ञान स्वरुप था देह त्याग के बाद किसी संकल्प को लेकर अव्यक्त परमात्मा में स्तिथ हो जाता है,
कालांतर में अपनी इच्छा से अवतार लेता है.
उ भगवान शांत, पूर्ण विशुद्ध ज्ञान हैं.
प्र २ भगवान कैसे संसार चलाते हैं?
उ पूर्ण ज्ञानमय होने तथा सम्पूर्ण सृष्टि के प्रत्येक परमाणु के सूक्ष्मतर अंश में स्तिथ होने के कारण ,ज्ञान के स्फुरण से,प्रत्येक परमाणु अपनी प्रकृति के कारण संचालित होता है.
प्र ३ भगवान क्या खाते हैं?
उ भगवान पूर्ण विशुद्ध ज्ञान होने के कारण आपके भाव को स्वीकारते हैं.
प्र ४ क्या भगवान की आंख ,कान,नाक,हाथ ,पैर हैं?
उ पूर्ण विशुद्ध ज्ञान सृष्टि के प्रत्येक परमाणु में स्तिथ है अतः प्रकृति का प्रत्येक अंश भगवान की आंख ,कान,नाक,हाथ ,पैर हैं.
प्र ५ क्या भगवान हमें देखते हैं?
उ हां भगवान साक्षी भाव से हम सभी में स्तिथ हैं अतः प्रत्येक क्षण वह हम सभी को देख रहे हैं.
प्र ६ क्या प्रार्थना स्वीकार होती है?
उ हां.आपके भाव के आधार पर प्रार्थना स्वीकार होती है.जितने अनन्य मन से आप प्रार्थना करेंगे तदनुसार सांसारिक अथवा अध्यात्मिक फल प्राप्त होगा .
प्र ७ हम कष्ट क्यों पाते हैं?
उ हम अपने कर्मो के कारण कष्ट पाते हैं.
प्र ८ क्या अवतार होते हैं?
उ हां. पूर्ण विशुद्धज्ञान को प्राप्त महात्मा जो अद्वितीय और अखंड ज्ञान स्वरुप था देह त्याग के बाद किसी संकल्प को लेकर अव्यक्त परमात्मा में स्तिथ हो जाता है,
कालांतर में अपनी इच्छा से अवतार लेता है.
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