Saturday, 9 July 2011

BHAGWADGEETA-ATMA

                       आत्मा  

वह एक देव ही सब जड़ चेतन में छिपा हुआ सबमें व्याप्त सब प्राणियों के मन को जानने वाला परमात्मा है. वह सबके कर्मो का अधिष्ठाता. सब जड़ चेतन का निवास-स्थान, सबका साक्षी, चेतन स्वरूप सर्वथा विशुद्ध और गुणों से परे है.
वह सब कुछ जनता है, वह सभी जड़ चेतन की उत्पत्ति स्तिथि और अन्त का कारण है. वह करता हुआ भी अकर्ता है. उसकी और केवल बुद्धि के सहारे ही चला जा सकता है परन्तु इस विलक्षण परमतत्व की प्राप्ति उसे ही होती है जिसके प्रति यह आत्मा अपने स्वरूप को व्यक्त कर देता है.
श्री भगवान के वचन हैं, मुझ आत्मतत्व में ही मन लगा, मुझ आत्मतत्व में ही बुद्धि लगा; तू आत्म स्वरूप को प्राप्त होगा इस विषय में  संशय मत कर.

यह आत्मतत्व ही परम बोध है,परम विशुद्ध ज्ञान है, 


महाबुद्धि है

No comments:

Post a Comment