क्या कुरुक्षेत्र धर्मक्षेत्र है? क्या कोई लड़ाई का मैदान धर्म भूमि हो सकता है? क्या हम एक लीक का अनुसरण करते हैं? गीता के सभी भाष्यकारों ने धर्म के शास्त्रानुकूल अर्थ को क्यों विस्मृत किया?
पुत्र मोह से
व्याकुल धृतराष्ट्र संजय से पूछते हैं- हे संजय! कुरूक्षेत्र में युद्ध की आशा से एकत्र भिन्न
भिन्न जीव स्वभाव को धारण किए शूरवीर जिनकी प्रकृति एक दूसरे से नितांत अलग है मेरे
और पाण्डु के पुत्रों ने क्या किया ?
यहाँ धर्म
शब्द महत्वपूर्ण है। धर्म का अर्थ है धारण करने वाला अथवा जिसे धारण किया गया है। धारण
करने वाले को आत्मा कहा जाता है और जिसे धारण किया गया है वह प्रकृति है। अतः
सुस्पष्ट है इस श्लोक में धर्म शब्द का अर्थ जीव स्वभाव है जिसे प्रकृति
भी कहते हैं और क्षेत्र
शब्द का अर्थ शरीर है। भगवद्गीता के अन्य प्रसंगों में भी इसी बात की पुष्टि होती है.
यथा ‘स्वधर्मे निधनम्
श्रेयः पर धर्मः परधर्मः भयावहः’, अपने
स्वभाव में स्थित रहना, उसमें
मरना ही कल्याण कारक माना है। यह धर्म शब्द गीता शास्त्र में अत्याधिक महत्वपूर्ण है। श्री
भगवान ने सामान्य मनुष्य के लिए स्वधर्म पालन; स्वभाव के आधार पर जीवन जीना परम
श्रेयस्कर बताया है।
महर्षि व्यास
ब्रह्मज्ञानी थे। उनकी दृष्टि से धर्म का अर्थ है धारण करने वाला आत्मा और क्षेत्र का अर्थ है शरीर।
इस दृष्टिकोण से पुत्र मोह से व्याकुल धृतराष्ट्र संजय से पूछते हैं, हे संजय, कुरूक्षेत्र में जहाँ
साक्षात धर्म, शरीर
रूप में भगवान श्री कृष्ण के रूप में उपस्थित है वहाँ युद्ध की इच्छा लिए मेरे और
पाण्डु पुत्रों ने क्या किया?
गीता की
समाप्ति पर इस उपदेश को स्वयं श्री भगवान ने धर्म संवाद कहा। धर्म, जिसने धारण
किया है,
वह आत्मतत्व परमात्मा शरीर रूप में जहाँ उपस्थित है, यह भी ब्रह्मर्षि व्यास जी के चिन्तन में
रहा होगा। अतः व्यास जी द्वारा यहाँ धर्म क्षेत्र शब्द का प्रयोग सृष्टि को धारण
करने वाले परमात्मा श्री कृष्ण चन्द्र तथा धृतराष्ट के जीव भाव (जिसे धारण किया है)
को संज्ञान में लेते हुए किया गया है।
‘धर्म
संस्थापनार्थाय’, से
भी इस बात की पुष्टि होती है। इस
श्लोक में महर्षि व्यास ने धर्म शब्द ईश्वर एवं जीव दोनों स्वभावों के लिए प्रयोग
कर और क्षेत्र शब्द जहाँ यह दोनों रहते हैं (शरीर)
के लिए करते हुए सम्पूर्ण गीता का सार एक श्लोक में कह दिया है।
(सामान्यतः
कुरुक्षेत्र को धर्म क्षेत्र कहा जाता है वह मात्र अज्ञानता है।)
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