Friday, 15 July 2011

BHAGWADGEETA-GYAN

                                                                         GYAN
मैं ज्ञान हूँ. मैं प्रत्येक प्राणी की बुद्धि के अंदर रहता हूँ. मैं पदार्थ में सुप्त रहता हूँ परन्तु मेरी उपस्थिति से ही जड़ में चेतन का संचार होता है. मैं सर्वत्र हूँ, मैं सर्वोत्तम हूँ, परम पवित्र हूँ, मेरे स्पर्श मात्र से अपवित्र भी पवित्र हो जाता है. मैं सर्व शक्तिमान हूँ, मैं पूर्ण हूँ मुझसे कितना ही निकल जाये फिर भी मैं पूर्ण रहता हूँ. न मुझे कोई कम कर सकता है न कोई अधिक कर सकता है. मैं सदैव स्थिर सुप्रतिष्ठित रहता हूँ. न कोई मुझे मार सकता है, न जला सकता है. न गीला कर सकता है, न सुखा सकता है, मैं नित्य हूँ, अचल हूँ, सनातन हूँ.
          मेरा न आदि है, न अंत है, मैं सृष्टि का कारण  हूँ, मेरे सुप्त होते ही पदार्थ जड़ हो जाता है, मेरी  जागृति ही जीवन है अर्थात ज्ञान सत्ता से ही जड़ में जीवन और जीवन जड़ होता है. मैं जीवन का कारण हूँ, जड़ भी मेरा विस्तार है. मेरे स्फुरण की मात्रा से भिन्न भिन्न बुद्धि और भिन्न भिन्न स्वरुप के प्राणी उत्पन्न होते हैं, अलग अलग स्वाभाव लिए  भिन्न भिन्न कर्म करते हैं, पर मैं तटस्थ और एकसा रहता हूँ.
      मैं पृथ्वी में गंध, जल में रस, अग्नि में प्रभा, वायु में स्पर्श और आकाश में शब्द रूप में प्रकट होता हूँ, मेरे कारण ही यह ब्रह्माण्ड टिका है. मैं बर्फ में जल की तरह संसार में व्याप्त हूँ. सब चर अचर का मैं कारण हूँ, सभी भाव मुझसे ही उत्पन्न होते हैं. कोई जड़ तत्व मेरा कारण नहीं है. मेरे कारण ही जड़ चेतन का विस्तार होता है. मैं ही जड़ होता हूँ फिर उसमें चेतन रूप से प्रकट होता हूँ. जो मेरे शुद्ध रूप को प्राप्त हो जाता है वह सृष्टि के सम्पूर्ण रहस्यों को जान लेता है. सारा खेल मेरी मात्रा का है. मैं पूर्ण शुद्ध ज्ञान हूँ, मेरा दूसरा यथार्थ नाम महाबुद्धि है. परम बोध मेरा अस्तित्व है. 

1 comment:

  1. The GYAN is not knowledge. This is absolute, ultimate and and purest entity of knwledge, wisdom and intelligence and achieved in super sensuas state, when the mental self ceases. This can be described as light of mind and may be known as cosmic or super cosmic mind as a whole unit. Life, universe and organisms as well as the time place and genesis are the result of a molecule of Gyan.
    GYAN, is the basis and support of all the universe, perfect and omni-present, when achieved eliminate all limitations of cosmic illusion and ignorance.
    GYAN can not be known by the mind but knows the mind and may be known as super mind.
    REALISE THAT GYAN ENLIGHTENS ALL AND CAUSE OF LIFE, CONSCIOUSNESS AND ORGANISMS.

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